Shri Veerbhadra Mala Mantra ( श्री वीरभद्र माला मंत्र )

Shri Veerbhadra Mala Mantra ( श्री वीरभद्र माला मंत्र ) is a powerful tool to destroy enemies and groups of enemies. Veera means brave and Bhadra means friend. He carries 4 weapons in his 8 hands. Bana (arrow), Khadga (sword), Dhanush (bow), and Khetaka (shield) along with attires garland of skulls. Chanting of Shri Veerabhadra Mala Mantra helps in coming out of difficulties. Sri Veerabhadra Swamy appeared from the hair strand of Lord Shiva after the death of Mata Sati. He's also known as the first Rudra Avatar. 

 Shri Veerbhadra Mala Mantra ( श्री वीरभद्र माला मंत्र )

ॐ वि ॐ नमो भगवते श्री अघोरवीरभद्राय त्रिनेत्रमुकुटाय चंद्रकलाधराय जटाजूटमणिकुण्डलभूषणाय महाभयंकर स्वरूपाय महाप्रलयकालस्वरूपाय युगयुगान्तकालप्रचण्डध्वंसकाय खांग कपाल पाश त्रिशूल उमरुक करवालफलखड्ग थनुर्हस्तायानन्तकर्णकुण्डलाय वासुकिकर्णाभरणाय तक्षकहाराय कार्कोटकयज्ञोपवीताय शङ्खपालघटिकसूत्राय पद्मपादपुरिकटकाय महापद्मवन्दितपादयुगलाय सर्वगुणडम्बरविनोदनाय आचारप्रतिपालनायानाचारसंहारणाय अद्भुतशक्तिप्रदाय मौक्तिकमुक्ताभरणाय दक्षमखविध्वंशनाय सोमसूर्याग्निलोचनाय ॐ श्रीं अघोरप्रलयकाल हुँकार अघोर वीरभद्र ब्रह्म गृह बन्धय बन्धय विष्णुगृहं बन्धय बन्धय रुद्रगृहं बन्धय बन्धय केतुगृहं बन्धय बन्धय इंद्रगृहं बन्धय बन्धय अग्निदशगृहं बन्धय बन्धय यमदशगृहं बन्धय बन्धय नैऋतिदशगृहं बन्धय बन्धय वरुणदशगृहं बन्धय बन्धय वायुदशगृहं बन्धय बन्धय कुबेरदशगृहं बन्धय बन्धय ईशानदशगृहं बन्धय बन्धय आकाशदशगृहं बन्धय बन्धय अवान्तरदशगृहं बन्धय बन्धय पातालदशगृहं बन्धय बन्धय यक्षगणं बन्थय बन्थय राक्षस गणं बन्धय बन्धय गन्धर्वगृहं बन्थय बन्धय किन्नरगणं बन्धय बन्धय किंपुरुषगणं बन्धय बन्धय भूतगणं बन्धय बन्धय प्रेतगर्ण बन्धय बन्धय पिशाचगणं बन्धय बन्धय ब्रह्मराक्षस गणं बन्धय बन्धय जटिगृहं बन्धय बन्धय कुम्भिनीगृहं बन्धय बन्धय शुभिनिगृहं बन्धय बन्धय बालगृहं बन्धय बन्धय शाकिनीगृहं बन्धय बन्धय डाकिनीगृहं बन्धय बन्धय हाकिनीगृहं बन्धय बन्थय मोहिनीगृहं बन्धय बन्धय कामिनीगृहं बन्धय बन्धय वीरगृहं बन्धय बन्थय शूरगृहं बन्धय बन्धय लण्डिगृहं बन्थय बन्धय चण्डीगृहं बन्धय बन्धय स्मशानक्काटेरिगृहं बन्धय बन्धय जलकाट्टेरीगृहं बन्धय रक्तक्काटेरिगृहं बन्धय शूट्टेरीगृहं बन्धय नाट्टेरीगृहं बन्थय कन्नियेरि गृहं बन्धय काञ्चिलेरिगृहं बन्धय नाविलेरिगृहं बन्धय मुट्टेरिगृहं बन्धय मुनियेरिगृहें बन्धय चतुष्षष्टिमन्त्रस्थापितगृहानु बन्धय जटामुनिगृहं बन्थय एवलमुनिगृह बन्धय श्मशानवासुकिगृहं बन्धय नानावर्णगृहं बन्धय नानाजातिगृहं बन्धय सर्वदुष्टग्रहान् बन्धय बन्थय ॐ अघोरप्रलयकालहुंकार संहार वीरभद्राय ब्रह्माण्डरोमकूपविलम्बिताय लोकैकनाथाय त्रैलोक्यडम्बराय ॐ विं अघोरप्रलयकालहुंकार संहार वीरभद्र आगच्छ आगच्छ आकर्षय आकर्षय आवेशय आवेशय अवतारय ललललल लिलिलिलिलि तुलुलुलुल अघोरप्प्रलयकाल वीरभद्र शीघ्रं शीघ्र आकर्षय आकर्षय आवेशय आवेशय स्तम्भय स्तम्भय मोहय मोहय भ्रामय भ्रामय भीषय भीषय पेषय आपूरय पारु फारु पोक हो हीं हूं श्री अघोरप्रलयकालहुंकार नमस्ते नमस्ते स्वाहा।