Jai Ambey Gauri - Maa Durga aarti in hindi
Maa Ambey is another name of Goddess Durga . Goddess Durga is the mother of the universe and believed to be the power behind the work of creation, preservation, and destruction of the world. Since time immemorial she has been worshipped as the supreme power of the Supreme Being and has been mentioned in many scriptures - Yajur Veda, Vajasaneyi Samhita and Taittareya Brahman.The word "Durga" in Sanskrit means a fort, or a place which is difficult to overrun. Another meaning of "Durga" is "Durgati nashini," which literally translates into "the one who eliminates sufferings." Thus, Hindus believe that goddess Durga protects her devotees from the evils of the world and at the same time removes their miseries. Goddess Durga is the personification of Shakti, the primeval mother Goddess. Seeking her blessings is said to liberate one from debts, hindrances and brings prosperity in business.
माँ अम्बे की आरती
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
मैया जय मगंल करनी मैया जय आनन्द करनी।
तुमको निशदिन ध्यावत, मैया जी को निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी....
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमदको
मैया टीको मृगमदको ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी....
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजे मैया रक्ताम्बर राजै ।
रक्त-पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी....
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी मैया खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी....
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, कोटिक चद्रं दिवाकर सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी....
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती मैया महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी....
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी.....
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी
मैया तुम कमलारानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी...
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू मैया नृत्य करत भैंरू ।
बाजत ताल मृदंगा, अौर बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी....
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता
मैया तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता, सुख सम्पति
करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी.....
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी
मैया वरमुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी.....
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती मैया अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत, श्री मालकेतु कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी....
श्री अंबेजी की आरती, मैया जी की आरती जो कोइ नित गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, कहत हरिहर स्वामी मनवांछित फल' पावे
ॐ जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी
मैया जय मगंल करनी
मैया जय आनन्द करनी।
तुम को निशदिन ध्यावत हरी ब्रह्मा शिवरी ||