Shri Bhootnath Ashtakam ( श्री भूतनाथ अष्टकम् )
The Author of Shri Bhootnath Ashtakam ( श्री भूतनाथ अष्टकम् ) is Guru Shri Krishna Das ji Maharaj. This has been dedicated to Lord Shiva ( Bhoothnath ). The benefits of listening or chanting to Shri Bhootnath Ashtakam ( श्री भूतनाथ अष्टकम् ) are unlimited like it Creates Positivity , Peace , Prosperity , stability, Destroys Sins And sufferings ,Frees Soul to Ultimate Shiva Loka ( the abode of God Shiva)
Shri Bhootanatha Ashtakam is installed in 11 Jyotirlingas( except for Shri Somnath jyotirlinga, where by Shiva's grace ,it will be installed soon) , Amarnath temple , Pashupatinath temple and many other Shiva temples across the world.
श्री भूतनाथ अष्टकम्
शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम्
नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम्
घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घंन्निनादम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||1||
कळकळकाळरूपं कल्लोळंकंकराळम्
डम डम डमनादं डम्बुरुं डंकनादम्
सम सम शक्तग्रिवं सर्वभूतं सुरेशम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||2||
रम रम रामभक्तं रमेशं रां रारावम्
मम मम मुक्तहस्तं महेशं मं मधुरम्
बम बम ब्रह्मरूपं बामेशं बं विनाशम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||3||
हर हर हरिप्रियं त्रितापं हं संहारम्
खमखम क्षमाशीळं सपापं खं क्षमणम्
द्दग द्दग ध्यानमूर्त्तिं सगुणं धं धारणम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||4||
पम पम पापनाशं प्रज्वलं पं प्रकाशम्
गम गम गुह्यतत्त्वं गिरीशं गं गणानाम्
दम दम दानहस्तं धुन्दरं दं दारुणम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||5||
गम गम गीतनाथं दूर्गमं गं गंतव्यम्
टम टम रूंडमाळं टंकारं टंकनादम्
भम भम भ्रम् भ्रमरं भैरवं क्षेत्रपाळम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||6||
त्रिशुळधारी संहारकारी गिरिजानाथम् ईश्वरम्
पार्वतीपति त्वम्मायापति शुभ्रवर्णम्महेश्वरम्
कैळाशनाथ सतीप्राणनाथ महाकालम्कालेश्वरम्
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ||7||
नीलकंठाय सत्स्वरूपाय सदा शिवाय नमो नमः
यक्षरूपाय जटाधराय नागदेवाय नमो नमः
इंद्रहाराय त्रिलोचनाय गंगाधराय नमो नमः
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ||8||
तव कृपा कृष्णदासः भजति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः स्मरति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पश्यति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पिबति भूतनाथम् ||
|| अथ श्रीकृष्णदासः विरचित 'भूतनाथ अष्टकम्' यः पठति निस्कामभावेन सः शिवलोकं सगच्छति ||